राजभर का इतिहास कविता इतेहास के पन्ने भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
झुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान से
कठिन है शासन काल बताना महाराज भारद्वाज का
महाराजा खीर्धर का नाम लो सम्मान सेझुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान सेइतेहास के पन्ने तो भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
नव्वी सताब्दी के राजा थे राजा नन्दुक
बाराबंकी में राज था जिसका सारा वो थे महाराज बारा
जिसने किया था सबको कैद वो थे महाराज जैस
महारानी किन्तमा को निकालना नहीं तुम ध्यान से
झुका के सर नहीं मरी थी मरी थी वो शान सेइतेहास के पन्ने तो भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
बहराइच में सासन काल था जिसका ३३ साल वो थे महाराजतिलोकचंद
मुसलमानों की जिन्दगी में लाया जिसने भूडौल वो थे सेनापतीइचौल
महामानौता के मूरत थे सेनापती मांड्ल्ररिक,महाराजपरीक्षित,मानिकचंद ,न्यान्देव ,मदन,मनदेव की आरती करोतुम थाल से
क्यों की झुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान सेइतेहास के पन्ने भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
लखनऊ में सासन चला राजा मोहनलाल का
दंग रह्जावोगे इतेहास सुनकर दल्की और मालकी का
राजा सारंगधर ,खनई,इसौल,छत्रशाल,काकोर और कितने नामगिनाऊ भर राजाओं के नाम सेझुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान से
इतेहास के पन्ने तो भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
भरो की महारानी आंबे देवी और सुनो डलदेव को
महाराजा सोझवल रावत,अल्देव और मलदेव को
२३ साल सासन चला अवध में महाराज मंगलसेन का
मंगलसेन के बाद अवध में राज था मनिहार का
और किस-किस के नाम गिनाऊ इतेहास तो पूरा भरा पड़ा है भरराजाओं के नाम से
झुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान से
आज दुनिया अज्ञात है भर राजाओं के नाम से
ये करामत हुवा है दुश्मनों के दिमाग से
मूलनिवासी भर थे जीन्हे भूल गया ये जग सारा
मिटा के हमारा नमो निशान बन गया ये ध्रु-तारा
आ गया है समय भरो के उत्पात मचाने का
बदला लेना है हुम्हे अपने दादा- परादादावो का
बिखरी पड़ी आबादी भरो की जब एक हो जाएगी
दुश्मनों की सारी चलाखी मिट्टी में मिल जाएगी
पछौटा छोड़ भागेंगे ये हमारे इस राज्य से
कहत प्रितम सुन भाई राजभरइतेहास के पन्ने तो भरे पड़े है भर राजाओं के नाम सेझुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान से
झुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान से
कठिन है शासन काल बताना महाराज भारद्वाज का
महाराजा खीर्धर का नाम लो सम्मान सेझुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान सेइतेहास के पन्ने तो भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
नव्वी सताब्दी के राजा थे राजा नन्दुक
बाराबंकी में राज था जिसका सारा वो थे महाराज बारा
जिसने किया था सबको कैद वो थे महाराज जैस
महारानी किन्तमा को निकालना नहीं तुम ध्यान से
झुका के सर नहीं मरी थी मरी थी वो शान सेइतेहास के पन्ने तो भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
बहराइच में सासन काल था जिसका ३३ साल वो थे महाराजतिलोकचंद
मुसलमानों की जिन्दगी में लाया जिसने भूडौल वो थे सेनापतीइचौल
महामानौता के मूरत थे सेनापती मांड्ल्ररिक,महाराजपरीक्षित,मानिकचंद ,न्यान्देव ,मदन,मनदेव की आरती करोतुम थाल से
क्यों की झुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान सेइतेहास के पन्ने भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
लखनऊ में सासन चला राजा मोहनलाल का
दंग रह्जावोगे इतेहास सुनकर दल्की और मालकी का
राजा सारंगधर ,खनई,इसौल,छत्रशाल,काकोर और कितने नामगिनाऊ भर राजाओं के नाम सेझुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान से
इतेहास के पन्ने तो भरे पड़े है भर राजाओं के नाम से
भरो की महारानी आंबे देवी और सुनो डलदेव को
महाराजा सोझवल रावत,अल्देव और मलदेव को
२३ साल सासन चला अवध में महाराज मंगलसेन का
मंगलसेन के बाद अवध में राज था मनिहार का
और किस-किस के नाम गिनाऊ इतेहास तो पूरा भरा पड़ा है भरराजाओं के नाम से
झुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान से
आज दुनिया अज्ञात है भर राजाओं के नाम से
ये करामत हुवा है दुश्मनों के दिमाग से
मूलनिवासी भर थे जीन्हे भूल गया ये जग सारा
मिटा के हमारा नमो निशान बन गया ये ध्रु-तारा
आ गया है समय भरो के उत्पात मचाने का
बदला लेना है हुम्हे अपने दादा- परादादावो का
बिखरी पड़ी आबादी भरो की जब एक हो जाएगी
दुश्मनों की सारी चलाखी मिट्टी में मिल जाएगी
पछौटा छोड़ भागेंगे ये हमारे इस राज्य से
कहत प्रितम सुन भाई राजभरइतेहास के पन्ने तो भरे पड़े है भर राजाओं के नाम सेझुका के सर नहीं मरे है मरे है वो शान से
अमर राजभर जी सुरहन
9278447743
HI
ReplyDeleteWOW NICE 1 YAR BAHUT ACCHE AMAR BHAI
ReplyDeletethanks santosh ji
ReplyDeletearee amar yeh kavita humne likha hai aur app jhut kyu bol rahe hoo
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