Saturday 28 May 2011

RAJBHAR

आजमगढ़

मि. डी. एल. ड्रेक ब्राकमेन ने आजमगढ़ के भरो के सम्बन्ध मे वर्णन करते है कि आर्यों मे से भर भी एक जाति है ! जो कशी,गोरखपुर क्मिस्नरियो मे पाए जाते है ! भर इस जिले मे सन् १९०१ ई मे ६९९६२ थे ! इन के रहने का मुख्य: स्थान देव गाँव, सगरी,मुहम्मदाबाद,घोसी आदि है ! इस जिले मे इस समय अधिक जातिया निवास कर रही है परन्तु एतिहासिक प्रमाणों द्वारा सिद्ध होता कि इस स्थान के प्राचीन निवासी भर तथा राजभर है !

दिह्दुअर परगना महल मे असिल देव नाम के एक राजभर राज करते थे ! जिसके राज्य के समय के तालाब और किले के खंडहर पाए जाते है ! जिसे अरारा के बचगुटी राजपूत अपने वंश का मानते है ! कौड़िया परगना अरौन जहनियांनपुर मे अयोद्धया राय राजभर राज करते थे ! ये असिल देव के वंसज काहे जाते है ! इस समय निजामाबाद एक प्रशिद्ध स्थान है ! यहाँ के राजा एक समय मे परीक्षक भर थे ! उन्होंने अनवन्क के किले को अपने अधिकार मे कर लिया था ! राजा परीक्षक ने धीरे धीरे भरो कि शक्ति प्रबल कि और पुनः सिकंदरपुर आजमगढ़ परगना पर अधिकार किया ! मि. शोरिंग साहब का उल्लेख है कि आजमगढ़ के भरो का राज्य भी रामचंद्र के राज्य के समय अयोध्या से मिला हुआ था ! इस जाति के लोग बहुत से किले,कोट,खाई,तालाब,कुए,पड़ाव आदि प्राचीन स्मृति छोड़ गए है !

आजमगढ़ जिले मे घोसी के निकट हरवंशपुर उचगवाना के किले के चारो और कुंवर और मघाई नदिया खाई नुमा घेरा बनाया गया है ! ऐसा ही कार्य निजामाबाद परगने मे अमीना नगर (मेहा नगर) के निकट हरिबान्ध है! प्राचीन खंडहरों मे चिरइया कोट भी इन्ही लोगो का है !
अमर राजभर जी 
९२७८४४७७४३
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RAJBHAR

श्रावस्ती सम्राट वीर सुहलदेव राजभर

ग्यारवी शादी के प्रारंभिक काल मे भारत मे एक घटना घटी जिसके नायक श्रावस्ती सम्राट वीर सुहलदेव राजभर थे ! राष्ट्रवादियों पर लिखा हुआ कोई भी साहित्य तब तक पूर्ण नहीं कहलाएगा जब तक उसमे राष्ट्रवीर श्रावस्ती सम्राट वीर सुहलदेव राजभर की वीर गाथा शामिल न हो ! कहानियों के अनुसार वह सुहलदेव , सकर्देव , सुहिर्दाध्वाज राय, सुहृद देव, सुह्रिदिल , सुसज , शहर्देव , सहर्देव , सुहाह्ल्देव , सुहिल्देव और सुहेलदेव जैसे कई नामों से जाने जाते है !

श्रावस्ती सम्राट वीर सुहलदेव राजभर का जन्म बसंत पंचमी सन् १००९ ई. मे हुआ था ! इनके पिता का नाम बिहारिमल एवं माता का नाम जयलक्ष्मी था ! सुहलदेव राजभर के टीम भाई और एक बहन थी बिहारिमल के संतानों का विवरण इस प्रकार है ! १. सुहलदेव २. रुद्र्मल ३. बागमल ४. सहारमल या भूराय्देव तथा पुत्री अंबे देवी ! सुहलदेव की शिक्षा-दीक्षा योग्य गुरुजनों के बिच संपन्न हुई ! अपने पिता बिहारिमल एवं राज्य के योग्य युद्ध कौशल विज्ञो की देखरेख मे सुहलदेव ने युद्ध कौशल , घुड़सवारी, आदि की शिक्षा ली ! सुहलदेव की बहुमुखी प्रतिभा एवं लोकप्रियता को देख कर मात्र १८ वर्ष की आयु मे सन् १०२७ ई. को राज तिलक कर दिया गया और राजकाज मे सहयोग के लिए योग्य अमात्य तथा राज्य की सुरक्षा के लिए योग्य सेनापति नियुक्त कर दिया गया !

सुहलदेव राजभर मे राष्ट्र भक्ति का जज्बा कूट कूट कर भरा था ! इसलिए राष्ट्र मे प्रचलित भारतीय धर्म,समाज ,सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा को अपना परम कर्तव्य माना ! राष्ट्री की अस्मिता से सुहलदेव ने कभी समझौता नहीं किया ! इनसब के वावजूद सुहलदेव ९०० वर्षो तक इतिहास के पन्नो मे तब कर रह गए ! १९ वी. शादी के अंतिम चरण मे अंग्रेज इतिहासकारों ने जब सुहलदेव पर कलम चलाई तब उसका महत्व भारतीय जानो को समझ मे आया ! महाभारत के बाद ये दूसरा उदहारण है जब राष्ट्रवादी नायक सुहलदेव राजभर ने राष्ट्र की रक्षा के लिए २१ राजाओ को एकत्र किया और उनकी फ़ौज का नेतृत्व किया ! इस धर्मयुद्ध में राजा सुहेलदेव का साथ देने वाले राजाओं में प्रमुख थे रायब, रायसायब, अर्जुन, भग्गन, गंग, मकरन, शंकर, वीरबल, अजयपाल, श्रीपाल, हरकरन, हरपाल, हर, नरहर, भाखमर, रजुन्धारी, नरायन, दल्ला, नरसिंह, कल्यान आदि।

सुहलदेव का साम्राज्य उत्तर मे नेपाल से लेकर दक्षिण मे कौशाम्बी तक तथा पूर्व मे वैशाली से लेकर पश्चिम मे गढ़वाल तक फैला था ! भूराय्चा का सामंत सुहलदेव का छोटा भाई भुराय्देव था जिसने अपने नाम पर भूराय्चा दुर्ग इसका नाम रखा ! श्री देवकी प्रसाद अपनी पुस्तक राजा सुहलदेव राय मे लिखते है की भूराय्चा से भरराइच और भरराइच से बहराइच बन गया ! प्रो. के. एल. श्रीवास्तव के ग्रन्थ बहराइच जनपद का खोजपूर्ण इतिहास के पृष्ट ६१-६२ पर अंकित है - इस जिले की स्थानीय रीती रिवाजो मे सुहलदेव पाए जाते है !

इसप्रकार अधिकतर प्रख्यात विद्वानों ने अपने अध्यन के फलस्वरूप सम्राट सुहलदेव को भर का शासक माना गया है ! कशी प्रसाद जयसवाल ने भी अपनी पुस्तक "अंधकार युगीन भारत" मे भरो को भारशिव वंश का क्षत्रिय माना है ! अर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के वोलुम १ पेज ३२९ मे लिखा है की राजा सुहलदेव भर वंश के थे !
अमर राजभर जी सुरहन आनंद नगर 
9278447743